कोपेनहेगन की असफलता ,समूचे विश्व के सफल नेतृत्व का दंभ भरने वालो की मानसिक कमजोरी का परिचायक है। आपसी गुटबाजी मे बटी हमारी मानव सभ्यता ने पिछड़े देशो कों धोखा देने, अपने-अपने हितो की पहरेदारी करने, अनर्गल बहस करने मे ज्यादा रूचि दिखाई और ग्लोबल वार्मिंग एवं उसके परिणाम जैसे मुद्दे हवा मे रहे।
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