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जूते की चाह

जूता मै चमड़े की खाल प्रिये ,
जिससे निकला उसकी 'आह' प्रिये ,
चाह नही मै पैरो मे घिसा जाऊ ,
चाह नही मै ट्रक के आगे लटका जाऊ ,
चाह नही मै बुरी नजर उतारता रहूँ ,
चाह नही मै मिर्गी को भागता रहूँ ,
जूता मै चमड़े की खाल प्रिये ,
जिससे निकला उसकी 'आह' प्रिये ,
कीमत मेरी 'महामना' जाने ,
नवाब के जूते की कीमत सरेआम लगवाई ,
जूता मै चमड़े की खाल प्रिये ,
जिससे निकला उसकी 'आह' प्रिये ,
चाह लगू भ्रष्टाचारियो के मुँह पर
चाह लगू घूसखोरों के मुँह पर ,
चाह लगू कन्याभ्रूण हत्यारों के मुँह पर ,
चाह लगू मिलावटखोरो के मुँह पर ,
जूता मै चमड़े की खाल प्रिये ,
जिससे निकला उसकी 'आह' प्रिये ,
क्रमश: .......

5 टिप्‍पणियां:

  1. आप का ब्लाग बहुत ही अच्छा लगा।रचना बहुत अच्छी लगी।आप मेरे ब्लाग पर आए इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।आगे भी हर सप्ताह आप को ऐसी ही रचनाएं मेरे सभी ब्लाग्स पर मिलेगी,सहयोग बनाए रखिए......

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  2. joote ke madhyam se kafi gehri baat kahi apne............bahut achchha

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  3. mere blog par aane ke liye dhanyawad...aapka maargdarshan aage bhi apekshit hai...

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